Thursday, 11 August 2016

मेरी कविता: ज़िन्दगी


(Photo courtsey due with thanks to owner/photographer)
चाहतों की मय्यत ही है जिंदगी
ख्वाहिशों के जो हर रोज होते हैं कत्ल
बोझ न उठा पाने के बहानों का नाम है जिंदगी...!
बारिशों में छाता होकर भी
जो हम भीग जाते हैं अक्सर
भीग जाने के उन्हीं धोखों का नाम है जिंदगी....!

बहुत खूब पसंद है हमको भी ये
पर हर वक्त एक जो डर है, वो डर,
ख्वाबों के मुकम्मल होने का, जो हमेशा डराता है
चीनी मिट्टी के बर्तन से गिरकर ख्वाब बिखर जाने का नाम है जिंदगी..!
-- विनोद

© vinod atwal   .   (July17, 2016. 11:00pm)

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