तब मैं बहुत छोटा था, बेशक आज भी हूँ। हमेशा छोटा ही रहूँगा ताकि वो सारे
बचपन के बीते दिन न भूल पाऊँ। हर किसी छोटे बच्चे की तरह मुझे भी यह पता
था कि जो लोग दुनिया से विदा हो जाते हैं वो या तो तारे बन जाते हैं या फिर
दोबारा जन्म लेते हैं। 07 अगस्त के वो सारे आपके साथ बिताए पल दिमाग में
मैथ्स के किसी फार्मूले की तरह इस कदर रचे बसे हैं कि आपके साथ गुजरे उन दस
सालों का नशा आजीवन नहीं उतरेगा।
अगर आप तारे बन गए हो तो शायद वहीँ होंगे जिन्हें मैं बिना बादल के दिनों में वर्षों से कभी कभी सुबह पौ फटते ही पूरब में अर्घ्य चढ़ाते देखता हूँ या रात में गिनती करता हूँ कभी तो बार बार भूलकर आप(तारे) से ही वापस शुरू करता हूँ। और अगर आप बच्चे हो तो आपको आपके बारहवें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ, जीते जी कभी न कभी किसी मोड़ पर मिलना जरूर। आसमाँ भर देखने की जो टीस रह गई है, उसे पूरा करूँगा। जब भी मंदिर में देखता हूँ तो शाम की वो प्रार्थनाएँ (दया कर दान विद्या का,वह शक्ति हमें दो...) याद आती हैं और सुबह-शाम की आकाशवाणी पर वंदे मातरम याद आ जाता है। 12वाँ जन्मदिन। मतलब जितना मैं तब था उस से भी बड़े हो गए हैं आप..? खैर एक इच्छा और है, सपनों में आते रहा करो और बात भी कर लिया करें। आपकी आवाज को मेरे कान तरस गए हैं, दुनिया तो इतना ज्यादा बोलती है कि कानों से खून निकल जाए पर जिसकी आवाज की दरकार मुझे है आपकी वो आवाज कभी नहीं मिलती। सुना है जो लोग चले जाते हैं वो सपनों में बोलते नहीं। अक्सर जब भी आप सपनों में आए, सुबह मैंने आँखों पर आँसू ही पाए। बगल में ढूँढता रहा पर फिर भ्रम टूटता है और फूटकर रोने के सिवा कुछ न रहता है।
जो डायरी लिखनी, रस्किन-चंपक- विज्ञान प्रगति पढ़ना, हारमोनियम बजाना सिखाया था वो नहीं भूला हूँ और न ही भूलूंगा।
वैसे फेसबुक नई चीज जुड़ गई है। आज आप होते तो पता है आपका भी अकाउंट होता और आपको मैं ब्लॉक थोड़ी करता आप तो मेरे दोस्त थे ना....? काश!
आपका बेटा,
पापा ......
(in memoir of an era and the remaining time which passed without you 08th-Aug-2016, 9;00a.m)
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(Papa in his early thirties) |
अगर आप तारे बन गए हो तो शायद वहीँ होंगे जिन्हें मैं बिना बादल के दिनों में वर्षों से कभी कभी सुबह पौ फटते ही पूरब में अर्घ्य चढ़ाते देखता हूँ या रात में गिनती करता हूँ कभी तो बार बार भूलकर आप(तारे) से ही वापस शुरू करता हूँ। और अगर आप बच्चे हो तो आपको आपके बारहवें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ, जीते जी कभी न कभी किसी मोड़ पर मिलना जरूर। आसमाँ भर देखने की जो टीस रह गई है, उसे पूरा करूँगा। जब भी मंदिर में देखता हूँ तो शाम की वो प्रार्थनाएँ (दया कर दान विद्या का,वह शक्ति हमें दो...) याद आती हैं और सुबह-शाम की आकाशवाणी पर वंदे मातरम याद आ जाता है। 12वाँ जन्मदिन। मतलब जितना मैं तब था उस से भी बड़े हो गए हैं आप..? खैर एक इच्छा और है, सपनों में आते रहा करो और बात भी कर लिया करें। आपकी आवाज को मेरे कान तरस गए हैं, दुनिया तो इतना ज्यादा बोलती है कि कानों से खून निकल जाए पर जिसकी आवाज की दरकार मुझे है आपकी वो आवाज कभी नहीं मिलती। सुना है जो लोग चले जाते हैं वो सपनों में बोलते नहीं। अक्सर जब भी आप सपनों में आए, सुबह मैंने आँखों पर आँसू ही पाए। बगल में ढूँढता रहा पर फिर भ्रम टूटता है और फूटकर रोने के सिवा कुछ न रहता है।
जो डायरी लिखनी, रस्किन-चंपक- विज्ञान प्रगति पढ़ना, हारमोनियम बजाना सिखाया था वो नहीं भूला हूँ और न ही भूलूंगा।
वैसे फेसबुक नई चीज जुड़ गई है। आज आप होते तो पता है आपका भी अकाउंट होता और आपको मैं ब्लॉक थोड़ी करता आप तो मेरे दोस्त थे ना....? काश!
आपका बेटा,
पापा ......
(in memoir of an era and the remaining time which passed without you 08th-Aug-2016, 9;00a.m)
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