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(कविताओं के इतर हमेशा कि तरह हंसमुख आग़ा) |
इरफ़ान ही थे जिन्होंने आग़ा को श्रीनगर के घटनाक्रमों के बारे में विस्तार से बताया। एक दिन बातों ही बातों में इरफ़ान ये वाकया बता बैठे कि ;-
एक दफा इरफ़ान हसन अवितरित पत्रों के सन्दर्भ में जानकारी लेने डाक घर जा पहुँचे। वहां पहुँचकर देखा तो कई ढ़ेर पार्सल, चिट्ठियों के तितर-बितर पड़े हैं. इरफ़ान ने खुद के लिखे पत्र और दोस्तों निजी पतों ।
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(कविता संग्रह का आवरण) |
यही वो किस्सा है जिससे प्रभावित हो आग़ा शाहिद अली ने 1997 में "दी कंट्री विथाउट अ पोस्ट ऑफिस " लिखी।
अंतर्राष्ट्रीय पटल पर कविताओं का यह संग्रह बहुत सराहा गया जिसमें पहली कविता इरफ़ान हसन को समर्पित है।
--- विनोद