कभी मिलना फिर से,मुझसे
बेफुर्सत, बिन तैयारी
यूँ ही कहीँ से दौड़ आना तुम
मैं भी हड़बड़ाता लड़खड़ाता चला आऊँगा
तुम्हें देखने, तुम में खोने
हो सके तो, ले आना
बरसात तुम
और साथ में इक
भारी बस्ता
बस्ता बचाने के बहाने सही
सामान रखते,
मेरी ऊंगलियों से अपनी ऊंगलियां
टकराना तुम
मैं शर्मा जाऊँ तो
मुझे देख फिर
हँसना तुम
बेफुर्सत, बिन तैयारी
यूँ ही कहीं से दौड़ आना तुम
चलना वहीं कहीं, किसी पहाड़
नदी या वीरानी के ठिकानों में
बैठ जाना वहीं कहीं, किसी पत्थर
लकड़ी या यादों के सिरहानों में
बिखरी पड़ी किसी पेड़ की छाल
उठा लाऊँगा मैं, और..
और उसमें हम दोनों का
नाम लिख देना तुम.........!
-- विनोद
copyright reserved
बेफुर्सत, बिन तैयारी
यूँ ही कहीँ से दौड़ आना तुम
मैं भी हड़बड़ाता लड़खड़ाता चला आऊँगा
तुम्हें देखने, तुम में खोने
हो सके तो, ले आना
बरसात तुम
और साथ में इक
भारी बस्ता
बस्ता बचाने के बहाने सही
सामान रखते,
मेरी ऊंगलियों से अपनी ऊंगलियां
टकराना तुम
मैं शर्मा जाऊँ तो
मुझे देख फिर
हँसना तुम
बेफुर्सत, बिन तैयारी
यूँ ही कहीं से दौड़ आना तुम
चलना वहीं कहीं, किसी पहाड़
नदी या वीरानी के ठिकानों में
बैठ जाना वहीं कहीं, किसी पत्थर
लकड़ी या यादों के सिरहानों में
बिखरी पड़ी किसी पेड़ की छाल
उठा लाऊँगा मैं, और..
और उसमें हम दोनों का
नाम लिख देना तुम.........!
-- विनोद
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