" चाहूँगा मैं मिलना तुम से
इस जहाँ में, उस फलक पर
हो सकेगा तो
उस फलक के पार भी, पर
आवाज़ दे देना
चाहूँगा मैं छूना तुम्हें
सख्त हथेलियों औ' सुंदर माथे पर
हो सका तो
तुम्हारे बिखरे बालों को भी, पर
आवाज़ दे देना
चलना चाहूँगा साथ तुम्हारे
इक सड़क से अनजान डगर पर
हो सका तो
इस जिंदगी के किस्से से आगे भी, पर
आवाज़ दे देना
मैं हूँ निपट अकेला जिंदगी में,
जी रहा हूँ, मर रहा हूँ
रोज तुम्हारी याद लेकर
हो सके तो, आवाज़ देना
खो गया हूँ, तुम में
तुम खो जाना कभी मुझ में भी
तो जानोगे किस कदर खामोश हूँ मैं,
एक तुम्हारी याद के सहारे
लफ्ज़ बेमानी से लगते हैं अब
हो सका तो
देख लेना एक बार इस जिंदगी में
हो सका तो
आवाज़ दे देना
जाने कैसे मैं तुम्हारा हो गया...?
तुम बस एक बार मुझे सोच लेना
हो सका तो
आवाज़ दे देना... "
--(विनोद)
**Valley of Flowers
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