रातों को याद में तुम्हारी नींद ओ चैन नहीं है
भीगी रूह को तुम्हारे जाने का यकीं नहीं है
गुम हो चुके हैं कबका, हर्फ़ तुम्हारी तारीफ वाले
हर चेहरे में खोजता हूँ जो, वो चेहरा तुम्हारा नहीं है
बिना तुम्हारे यूं तो जिंदगी में कोई कमी नहीं है,
आसमाँ तो है मुठ्ठी में पर पैरों तले जमीं नहीं है
यहाँ मेरा कोई अपना नहीं है
चलो अच्छा है, कोई खतरा नहीं है
हर वादे में मिलती है मिलावट अब
बिन लाग लपेट का कोई तुमसा नहीं है... "
--(विनोद)